बुधवार, 28 अगस्त 2013

काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में ... ( अदम गोंडवी )






काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में

पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में

आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में

पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में

जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

कँवल भारती की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता पर हमला

कँवल भारती की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता पर हमला

6.8.2013: आज जिस तरह रामपुर में एक बिलकुल फर्जी केस में दलित लेखक और चिन्तक श्री कँवल भारती की गिरतारी की गयी वह सपा सरकार का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है जिस की आईपीएफ कड़ी निंदा करती है क्योंकि उनके विरुद्ध मुकदमे का कोई भी आधार नहीं बनता है.
आज सवेरे श्री कँवल भारती ने अपनी फेसबुक की वाल पर निम्नलिखित टिप्पणी दर्ज की थी:
“आरक्षण और दुर्गाशक्ति नागपाल इन दोनों ही मुद्दों पर अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार पूरी तरह फेल हो गयी है. अखिलेश, शिवपाल यादव, आज़म खां और मुलायम सिंह (यू.पी. के ये चारों मुख्य मंत्री) इन मुद्दों पर अपनी या अपनी सरकार की पीठ कितनी ही ठोक लें, लेकिन जो हकीकत ये देख नहीं पा रहे हैं, (क्योंकि जनता से पूरी तरह कट गये हैं) वह यह है कि जनता में इनकी थू-थू हो रही है, और लोकतंत्र के लिए जनता इन्हें नाकारा समझ रही है. अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और बेलगाम मंत्री इंसान से हैवान बन गये हैं. ये अपने पतन की पट कथा खुद लिख रहे हैं. सत्ता के मद में अंधे हो गये इन लोगों को समझाने का मतलब है भैस के आगे बीन बजाना.”

इस से पहले 2 अगस्त को कँवल भारती जी ने अपनी फेसबुक पर यह लिखा था:
“आपका "आज तक" कैसे सबसे तेज है? आपको तो यह ही नहीं पता कि रामपुर में सालों पुराना मदरसा बुलडोजर चलवा कर गिरा दिया गया और संचालक को विरोध करने पर जेल भेज दिया गया जो अभी भी जेल में ही है. अखिलेश की सरकार ने रामपुर में तो किसी भी अधिकारी को सस्पेंड नहीं किया. वह इसलिए कि रामपुर में आज़म खां का राज चलता है, अखिलेश का नहीं.”

उन की उप्रोकर टिप्पणियों पर सिविल लाइन्स थाना रामपुर ने आज सुबह उन्हें कुछ लोगों की शिकायत पर साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने तथा एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में धारा 153 ए तथा धारा 295 ए भारतीय दंड विधान के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया.
अब अगर कानून की दृष्टि से देखा जाये तो उन पर लगाये गए दोनों आरोप असत्य एवं निराधार हैं. भारतीय दंड विधान की धारा 153 ए के अनुसार यदि कोई व्यक्ति धर्म, मूलवंश, भाषा इत्यादी के आधारों पार विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द बनाए रखने के प्रतिकूल कार्य करता है तो वह इस धारा के अंतर्गत अपराध करने का दोषी है.
भारतीय दंड विधान की धारा 295 ए के अनुसार यदि कोई व्यक्ति विमशित और विदुएश्पूर्ण कार्य जो किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उस की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आशय से करता है तो वह इस धारा का अपराध करता है.
अब अगर श्री कँवल भारती की उक्त टिप्पणियों को देखा जाए तो इस में न तो कोई साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और न ही किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने जैसी कोई बात लिखी गयी है. इस में केवल दो मुद्दों: दलितों का आरक्षण और दुर्गाशक्ति नागपाल के निलंबन को लेकर सरकार के रवैये की आलोचना की गयी जो कि पहले ही इतने व्यापक स्तर पर चौतरफा हो रही है.

हाँ! इतना ज़रूर है कि इन टिप्पणियों में अखिलेश यादव, शिवपाल यादव और मुलायम सिंह यादव के साथ आज़म खान का नाम भी है. अब यह बड़ी हैरानी की बात है कि केवल रामपुर, जो कि श्री आज़म खान का शहर है, में ही इस टिप्पणी से साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ने और एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचने की बात कह कर मुकदमा दर्ज कराया गया और श्री कँवल भारती को गिरफ्तार कर लिया गया. यह अलग बात है न्यायालय द्वारा उन्हें ज़मानत दे दी गयी है.

क्या यह सपा सरकार के मंत्री आज़म खान द्वारा अपने गृह जनपद में अपनी आलोचना पर सभी प्रकार की पाबन्दी लगाने का प्रयास नहीं है? क्या लोगों को सरकार की विफलताओं की आलोचना करने का भी अधिकार नहीं है? क्या उत्तर प्रदेश में आपात काल लग गया है जिस में जनता के सभी मौलिक अधिकार निलंबित हो गए हैं? क्या राममनोहर लोहिया के समाजवाद का क्या यही वर्तमान स्वरूप है?

ऐसा प्रतीत होता है कि सपा की सरकार अपनी विफलताओं और चौतरफा आलोचनाओं से हताश हो गयी है और वह हर विरोध को कुचलने पर उतर आई है. दुर्गाशक्ति के निलंबन के मामले से उसकी जो छीछालेदर हुयी है उस से वह हडबडा गयी है और सत्ता के डंडे से आलोचनाओं पर काबू पाना चाहती है. श्री कँवल भारती की गिरफ्तारी इसी का ही दुष्परिणाम है. आईपीएफ सपा सरकार की इस कार्रवाही की कड़ी निंदा करती है.

एस. आर. दारापुरी,
राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट
मोबाइल: 9415164845

कँवल भारती की गिरफ्तारी अवैधानिक एवं विद्वेषपूर्ण


आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (र)
प्रांतीय कार्यालय: 4 मॉल ऐवेन्यू, निकट फिरोज़ कोठी, लखनऊ.
कँवल भारती की गिरफ्तारी अवैधानिक एवं विद्वेषपूर्ण

अब तक यह स्पष्ट हो चुका है कि दिनांक 6/8/13 को प्रख्यात दलित लेखक श्री कँवल भारती की गिरफ्तारी उन द्वारा फेसबुक पर लिखी गयी जिन दो पोस्टों को लेकर की गयी है वास्तव में उन में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पंहुचाने जैसी कोई बात ही नहीं है. दरअसल जिस अपराध में उन्हें गिरफ्तार किया गया है यदि उसे सही भी मान लिया जाये तो भी इस अपराध में उनकी गिरफ्तारी की ही नहीं जा सकती थी क्योंकि इस की अधिकतम सजा 3 वर्ष है. पुलिस ने इस मामले में कोई भी तफ्तीश न करके सबसे पहले उन्हें गिरफ्तार करने का काम ही किया जो कि विवेचना की निर्धारित प्रक्रिया के विपरीत है. उनकी गिरफ्तारी में कानून के प्रावधानों का खुला उलंघन किया गया और उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गयी. इस प्रकार उन की गिरफ्तारी पूर्णतया अवैधानिक एवं विद्वेषपूर्ण है जो कि निंदनीय भी है.

श्री कँवल भारती ने के अनुसार उस दिन रामपुर पुलिस द्वारा उन्हें प्रातः 7.30 बजे उनके घर से बनियान और पजामा में गिरफ्तार करके थाने पर लाया गया और उन्हें केवल इतना बताया गया कि थाने पर उन के विरुद्ध एक शिकायत प्राप्त हुयी है. वहां उन्हें दोपहर तक बैठाये रखा गया परन्तु उन की गिरफतारी के कारण के बारे में उन्हें नहीं बताया गया. थाने पर उन्हें बिलकुल भूखे प्यासे रखा गया और उनके घर वालों को उनसे मिलने तक नहीं दिया गया. बाद में थाने पर ही उन्होंने अपने घर से मंगवा कर कपडे पहने.

यहां पर यह अंकित करना उचित होगा कि गिरफतारी सम्बन्धी वर्तमान आदेशों के अंतर्गत श्री. कँवल भारती को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था क्योंकि उस अपराध की जिन धाराओं ( धारा 153 ए और 295 आई. पी.सी.) में में केवल 3 वर्ष और 2 वर्ष की सजा का प्राविधान है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में यह स्पष्ट कहा गया है कि जिन मामलों में 7 वर्ष से कम सजा है उनमे पुलिस अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर सकती. दूसरे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय उसे गिरफ्तारी का कारण बताना ज़रूरी है जो कि इस मामले में नहीं बताया गया. गिरफ्तारी में व्यक्ति की गरिमा का भी पूरा ख्याल रखना आवश्यक है जो कि जान बुझ कर नहीं रखा गया क्योंकि पुलिस उन्हें बनियान और पजामे में घर से उठा कर ले गयी.

घर से गिरफ्तारी के समय पुलिस उन का कम्प्यूटर और मोडम भी गैर क़ानूनी ढंग से उठा कर ले गयी क्योंकि मौके पर कोई भी सीज़र मीमो तैयार नहीं किया गया जो कि क़ानूनी प्रक्रिया का उलंघन है. इसी कारण कल श्री. कँवल भारती ने न्यायालय में इस के बारे में एक शिकायती प्रार्थना पत्र भी दिया है.

इस के अतिरिक्त पुलिस में जो शिकायत दर्ज की गयी है उस में वादी ने श्री कँवल भारती की 2 अगस्त वाली पोस्ट में " आज़म खान रामपुर में कुछ भी कर सकते है क्योंकि यह उन का क्षेत्र है और खुदा भी उन्हें नहीं रोक सकता है" अपनी तरफ से जोड़ दिया है जब कि पोस्ट में यह वाक्य हैं ही नहीं. कँवल भारती की गिरफ्तारी करने से पहले पुलिस के लिए यह ज़रूरी था कि वह पोस्ट की सत्यता के बारे में जांच करती परन्तु जान बूझ कर ऐसा नहीं किया गया.

उपरोक्त तथ्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि श्री कँवल भारती की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी रामपुर के अति प्रभावशाली नेता श्री आज़म खान के इशारे पर सभी नियमों और कानून को ताक पर रख कर की गयी है जो कि अवैधानिक एवं विद्वेषपूर्ण है जिस की आईपीएफ निदा करती है. आईपीएफ यह भी मांग करती है कि कँवल भारती के विरुद्ध बनाये गए फर्जी मामले को तुरंत समाप्त किया जाये और विधि विरुद्ध कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाही की जाये. यदि ऐसा नहीं किया गया तो आईपीएफ इस मांग को लेकर जनांदोलन करेगी और जनहित याचिका दायर करने पर भी विचार करेगी.
एस. आर. दारापुरी
राष्ट्रीय प्रवक्ता,
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट उ.प्र..
लखनऊ.
मोबाइल: 9415164845

उत्तर प्रदेश में दलित-आदिवासी और भूमि का प्रश्न

  उत्तर प्रदेश में दलित - आदिवासी और भूमि का प्रश्न -     एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट 2011 की जनगणना ...